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कविता

गुजरात-1

नरेश सक्सेना


घर से सारी पत्रिकाएँ और अखबार हटा दिए
कि कहीं उन पर नजर न पड़ जाए
रेडियो और टी.वी. के कनेक्शन काट दिए
कि कहीं खबरें न आने लगें उसी वक्त
लेकिन घर में जले हुए गोश्त की बू है
इसका क्या करें
गोश्त जरा-सा लग गया रसोई में
और एक मुसलमान दोस्त आने वाले हैं खाने पर

 


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हिंदी समय में नरेश सक्सेना की रचनाएँ